फर्जीवाड़ा : सेना भर्ती में जा रहे 100 से ज्यादा युवाओं को पैसे लेकर पकडा दी फर्जी कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट
रामनगर : रामनगर अस्पताल के लैब कर्मचारियों द्वारा थोड़े रुपयों के लालच में आकर पूरी सेना भर्ती को कोरोना के दलदल में धकेलने का सनसनी खेज मामला प्रकाश में आया है, लापरवाही की हद यहां तक रही कि अस्पताल में बीते दो माह से एंटीजन टेस्ट बंद होने के बावजूद आरोपी ने युवाओं की फर्जी कोविड नेगेटिव रिपोर्ट में एक हफ्ते बाद की तारीख डालकर उन्हें एंटीजन टेस्ट में नेगेटिव बताते हुए फर्जी दस्तखत और मुहर ठोक कर दे दी,
ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
युवक यूथ फाउंडेशन पीरूमदारा में काफी समय से आर्मी की तैयारी कर रहे 100 से ज्यादा युवक प्रदेश में चल रही सेना भर्ती के लिए आने से पहले अनिवार्य रूप से मांगी गई कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट हेतु कोरोना टैस्ट के लिए रामनगर पीपीपी मोड पर गए संयुक्त चिकित्सालय के लैब में कार्यरत दो कर्मचारियों द्वारा यहां कोरोना की जांच कराने आए इस दौरान इन्हें नेगेटिव रिपोर्ट बिना जांच किए ही सौंप दी गई । रिपोर्ट में नोडल अधिकारी की मुहर और हस्ताक्षर भी लगाये गये, आरोप है कर्मचारियों द्वारा प्रमाणपत्र देने के मामले में इन युवकों से 500 से एक हजार रुपए भी लिए गए हैं।
यही नहीं धांधली की हद्द ऐसी कि युवाओं ने अपनी जांच 20 दिसंबर को अस्पताल में कराई थी। उस दौरान बिना जांच के ही नेगेटिव रिपोर्ट थमाते हुए उस पर जारी करने की डेट भी 27 दिसंबर डाल दी गई। जबकि 27 दिसंबर आने में अभी छह दिन बाकी हैं।
यह देख फाउंडेशन के निरीक्षक मंगल सिंह को इस मामले में जब शक हुआ तो उन्होंने फाउंडेशन के साथी गणेश रावत व तेजेश्वर घुघत्याल को मामले की जानकारी दी। जिसके बाद घटना से एसडीएम विजय नाथ शुक्ल को अवगत कराया गया। एसडीएम ने नोडल अधिकारी डॉ. प्रशांत कौशिक को मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।
जिसके बाद रामनगर में कोविड कंट्रोल रूम के नोडल अधिकारी डॉ. प्रशांत कौशिक ने बताया कि अस्पताल में दो महीने से कोरोना के लिए एंटीजन टेस्ट बन्द चल रही है। डॉ. प्रशांत के मुताबिक टेस्ट बन्द होने के बावजूद उनकी मुहर से फर्जी तरीके से रिपोर्ट तैयार कर दी गई है। बताया कि टेस्ट की रिपोर्ट ही गलत लग रही है। मामले की जांच की जा रही है।
पुलिस आरोपी टेक्नीशियन की तलाशमें जुटी
पीपीपी मोड पर संचालित रामनगर सरकारी अस्पताल में महामारी को लेकर लोगों की जिंदगी से किए गए खिलवाड़ में अस्पताल प्रशासन की मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं। मामला खुलने के बाद भले ही अस्पताल प्रशासन जांच की बात कह रहा हो, लेकिन सूत्रों की मानें तो अस्पताल प्रशासन के कहने पर ही लैब में कोरोना की फर्जी नेगेटिव रिपोर्ट बनाई गई है।
सोमवार को जब फाउंडेशन के जरिए सेना भर्ती की तैयारी में जुटे युवाओं को अपनी रिपोर्ट की तारीख और जांच के तरीके पर शक हुआ तो उन्होंने अस्पताल पहुंचकर हंगामा भी किया।
इसके बाद अस्पताल प्रबंधन की नींद टूटी तो शुरुआती छानबीन में लैब टैक्नीशियन प्रशांत बधुनी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए हटा दिया गया। देर शाम पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। बताया जाता है कि आरोपी लैब टेक्नीशियन फरार है
सीएमओ के निरीक्षण के बावजूद होती रही धांधली
पीपीपी मोड में जाने के बाद नैनीताल सीएमओ पांच बार रामनर अस्पताल का दौरा कर चुकी हैं। लेकिन हालात अब तक नहीं सुधरे, बल्कि अस्पताल प्रशासन मनमानी करता रहा। इससे अस्पताल की खामियां बढ़ती गईं।
अस्पताल के स्टाफ को अधिकारियों का खौफ तक नहीं रहा। रामनगर अस्पताल के एमएस डॉ. मणि पंत ने बताया कि मामला सामने आने के बाद एक लैब कर्मचारी हटा दिया गया है। आरोपों की जांच कराई जा रही है। मामला सही पाया गया तो ऐसा करने वाले कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
भाजपा विधायक दीवान सिंह बिष्ट की रहमोकर्म पर सरकारी सरकारी अस्पताल दिया निजी हाथ में
गौरतलब है कि बीते माह रामनगर सरकारी अस्पताल को निजी हाथ में दे दिया गया। खुद भाजपा विधायक दीवान सिंह बिष्ट भी इसे निजी हाथ में देने के पक्षधर रहे। मगर अब आए दिन हो रही धांधली भाजपा विधायक तथा अस्पताल की सांठगांठ की तरफ भी इशारा करती है और कमाल की बात यह अब मरीजों के साथ हो रही परेशानी और दिक्कतों पर सत्ताधारी दल के नेता भी मुंह फेरते नजर आ रहे हैं जो इस सांठगांठ वाली बात को और भी पुख्ता करते नजर आते हैं
कई माह से चल रहा फर्जी रिपोर्ट बांटने का धंधा
सोमवार युवाओं ने फर्जी कोरोना रिपोर्ट के मामले में अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप जड़े। उनका कहना था कि यह मामला कई माह से चल रहा है। बताया कि 27 दिसंबर को उन्हें कोटद्वार में सेना भर्ती के लिए जाना है। ऐसे में कोरोना की फर्जी नेगेटिव रिपोर्ट उनका भविष्य बर्बाद कर देती। बताया कि जब वे अस्पताल आए तो उन्हें कर्मचारियों ने ही नेगेटिव रिपोर्ट बनाने की बात कही थी। आगे इन युवाओं ने बताया कि उन्हें बिना जांच ही कोरोना की नेगेटिव रिपोर्ट दे दी गई। कई युवाओं से पांच सौ रुपये से एक हजार तक वसूले गए। जो कि पुरी भर्ती प्रक्रिया को ही बर्बाद कर कोरोना की चपेट में ला सकता था
जबकि उधर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि आरोपों की जांच की जा रही है।
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