आज भी बेनतीजा रही किसान नेताओं और सरकार के बीच मुलाकात, 15 जनवरी को फिर होगी बातचीत
दिल्ली की सीमाओं पर लगभग डेढ महीने से जुटे प्रदर्शकारी किसानों के नेताओं और सरकार के बीच विज्ञान भवन में शुक्रवार को आठवें दौर की बातचीत हुई, जो किसी नतीजे पर नहीं पहुंची.
दोनों पक्ष फ़िलहाल इस पर राज़ी हुए हैं कि 15 जनवरी को फिर से बातचीत की जाएगी.
किसान नेताओं का कहना कि ''वो सरकार से अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और लड़ाई जीतेंगे भी.''
किसान नेताओं का कहना है कि "क़ानून बनाना सरकार का अधिकार है, लेकिन क़ानून को चुनौती दी जा सकती है और यही काम किसान कर रहे हैं."
संवाददाताओं ने जब ये पूछा कि क्या किसान नेता इस मामले में कोर्ट का रूख़ करेंगे, तो उन्होंने इससे इंकार किया और कहा कि ''किसान का सीधा सवाल सरकार के साथ है, हम कोर्ट नहीं जाएंगे. सरकार के क़ानूनी अधिकार को चुनौती नहीं दी जा रही है, लेकिन ये क़ानून ग़लत हैं जिन्हें हम ख़त्म कराकर ही पीछे हटेंगे.''
इससे पहले, सोमवार को दोनों पक्षों के बीच सातवें दौर की बातचीत हुई थी जिसका कोई नतीजा नहीं निकला था.
प्रदर्शनकारी किसानों की दो प्रमुख मांगे हैं. वो चाहते हैं कि नए कृषि क़ानूनों को हटाया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए क़ानूनी गारंटी का प्रावधान किया जाए.
आठवें दौर की बातचीत से एक दिन पहले गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सिखों के धार्मिक नेता बाबा लाखा सिंह से मुलाक़ात की थी जो प्रदर्शन वाली जगहों पर लंगरों का आयोजन कर रहे हैं.
0 Comments