उत्तराखंड में पिछले कुछ दशकों में 14 प्रतिशत घटी किसानों की आय, खेती की जमीन भी हुई कम
उत्तराखंड में तेजी से किसानों की संख्या और कृषि भूमि घट रही है. पिछले छह दशकों के अध्ययन में यह सामने आया है कि किसानों की संख्या 14 फीसदी घट गयी है जबकि कृषि उत्पादन का क्षेत्र 35 से घटकर 21 फीसदी रह गया है. जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान के हिमालय मिशन के तहत अध्ययन में यह खुलासा हुआ है. पर्वतीय क्षेत्रों में भी तेजी से किसान और कृषि उत्पादन क्षेत्र घट रहा है. जंगली जानवर और बारिश की कमी से किसानों ने खेती करना छोड़ दिया है. जबकि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत कर रही है. अब संस्थान सरकार को अपनी अध्ययन रिपोर्ट सौंपेगा जिससे कई योजनाओं में बदलाव के साथ ही नई योजनाओं की शुरुआत हो सकती है.
वैज्ञानिकों की टीम ने कृषि क्षेत्र में कमी और किसानों की घटती संख्या के लिए एक टीम बनाकर अध्ययन किया है. इसके लिए कई गांवों का टीम ने निरीक्षण कर वहां के किसानों से बात की गई तो वैज्ञानिकों को कई चौंकाने वाली बातें का पता चला. जीबी पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. रंजन जोशी ने राज्य में तेजी से घट रही खेती और किसानों पर सर्वे किया जिसमें पता चला कि पिछले छह दशकों में इसमें कमी आयी है. अब किसानों की संख्या कैसे बढ़े, इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं.
एक तरफ सरकार किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत कर रही है. वहीं उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक कृषि क्षेत्र घट रहा है. इतना ही नही किसानों की संख्या में भी तेजी से कमी आ रही है जो कृषि क्षेत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है. हालांकि पहाड़ों में तेजी से किसानों के घटने की एक वजह पलायन को भी माना जा रहा है.
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