किसान आंदोलन उतराखंड : कृषि कानूनों के विरोध में किसान महापंचायत में उमड़े अन्नदाता
रुद्रपुर : भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत को सुनने के लिए किसान, बुजुर्ग से लेकर युवा तक उतावले थे। पूर्वाह्न 11 बजे तक करीब पांच हजार किसान पहुंचे थे। इसके बाद दोपहर 12 से एक के बीच करीब 25 हजार किसानों से टेंट एवं बाहर तक भर गया। एक बजकर 37 मिनट पर टिकैत मंच पर पहुंचे। पार्किंग में वाहन फुल होने पर लोगों को सड़कों के किनारे एवं विभिन्न प्रतिष्ठानों के सामने वाहन खड़ा करना पड़ा।
किसान भाइयों के लिए लंगर व्यवस्था गुरुद्वारे की ओर से की गई थी। भारी संख्या में किसानों के आने का ख्याल रखते हुए लंगर के लिए आठ पंडाल लगाए गए थे। चाय और नाश्ते के लिए भी पंडाल लगे थे। पंडाल का संचालन कर रहे किसानों ने बताया कि एक बजे तक 20 हजार से अधिक लोगों ने लंगर प्रसाद ले चुके थे।
दिल्ली गाजीपुर बार्डर से लगे शिविर
किसानों की सहायता के लिए किसान अधिवक्ता शिविर गाजीपुर दिल्ली बार्डर की ओर से लगाया गया था। प्राथमिक उपचार एवं स्वास्थ्य परीक्षण के लिए किसान चिकित्सा शिविर भी लगाया गया।
इन संगठनों ने किया समर्थन
संयुक्त किसान मोर्चा, भारतीय किसान यूनियन, परिवर्तनगामी छात्र संगठन, इंटरार्क श्रमिक संगठन, संयुक्त श्रमिक मोर्चा सहित कांग्रेस पार्टी के नेता एवं आम आदमी के नेता भी मौके पर कार्यकर्ताओं के साथ डटे रहे।
उत्तराखंड का बार्डर बंद कर दिया जाएगा
राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत ने कहा कि डीजल व पेट्रोल के दाम बढ़ रहा है। इसकी मार सीधे आम जनता पर पड़ती है। फसल का लागत खर्च बढ़ रहा है, मगर एमएसपी नहीं मिल रहा है। महंगाई का यही हाल रहा तो महिलाएं सिलिडर लेकर सड़क पर आंदोलन करेंगी।
आगे वह बोले कि उत्तराखंड की सरकार दो दिन की मेहमान है। दिल्ली की तरह उत्तराखंड के बार्डर पर रोक लगा दी जाएगी, जिससे बाहर से कोई उत्तराखंड में प्रवेश नहीं कर पाएगा। उत्तराखंड में हिल अलाउंस की मांग की गई थी। पहाड़ पर दिल्ली में रहने वाले बड़े लोगों के होटल हैं, इसलिए पर्यटक जब नैनीताल सहित अन्य जिलों में घूमने जाते हैं तो वह होटल में रहते हैं और पैसा दिल्ली चला जाता है। यदि उत्तराखंड में पैसा रोकना है तो गांवों को टूरिज्म विलेज के रूप बनाने होंगे
महापंचायत में नजर आया मिली जुली संस्कृति का रंग
किसान मैदान में सोमवार को आयोजित किसान महापंचायत में जहां पहाड़ी संस्कृति की झलक दिखाई दी, वहीं पंजाबी गायकों ने भीड़ को बांधे रखा। यहां किसान उत्तराखंड के पारंपरिक छोलिया नृत्य के साथ पहुंचे। वहीं श्रमिक संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर श्रमिक ढोल-नगाड़े लेकर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ धरना स्थल किसानों का समर्थन देने पहुंचे। महापंचायत में देहरादून जिले के पछवादून से भी सैकड़ों लोग हिस्सा लेने पहुंचे हैं। इसके अलावा यूपी व पर्वतीय जिलों से भी लोग पहुंचे।
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