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आप सभी को ईस्टर की हार्दिक शुभकामनाएं : आईये जानते हैं गुड फ्राइडे से ईस्टर तक का इतिहास...

आप सभी को ईस्टर की हार्दिक शुभकामनाएं : आईये जानते हैं गुड फ्राइडे से ईस्टर तक का इतिहास... 
क्या आप जानते हैं की गुड फ्राइडे  और तीसरे दिन यानि रविवार को ईस्टर क्यूँ मनाया जाती है? गुड फ्राइडे तथा ईस्टर त्यौहार ईसाई धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है.  गुड फ्राइडे के दिन प्रभु ईसामसीह (ईसाई धर्म के संस्थाप) को बहुत सी शारीरिक यातनाएं देने के बाद सूली में चढ़ा दिया गया था. जबकि ईसाई मत के अनुसार तीसरे दिन यानि रविवार को वह मुर्दों मे से फिर जिंदा हो गए थे जो ईस्टर के रुप में मनाया जाता है बाइबिल के अनुसार यह वर्तमान से लगभग 2000 वर्ष पूर्व की बात मानी जाती है.

प्रभु ईसामसीह को यीशु, ईसा, एवं ईश्वर आदि नामों से भी संबोधित किया जाता है. प्रभु यीशु को स्वयं परमपिता परमेश्वर का पुत्र माना जाता है और ये पतन हुए लोगों को पाप और मृत्यु से बचाने के लिए मनुष्य देह धारण करके आये थे. इनका उद्देश्य पापी लोगों को खत्म करना न होकर उनके अंदर से पापों को खत्म करना था. 

शोक, का दिन गुड फ्राइडे क्यूँ  ? 

माना जाता है कि इस दिन ईसामसीह ने अमानवीय यातनाएं सहते हुए अपने प्राण त्याग दिए थे. ईसामसीह नें धरती पर बढ़ रहे अत्याचार और पाप को खत्म करने के लिए जन्म लिया था, जिससे लोग पापों से ऊधार पा सकें और युगों से पाप की क्षमा के लिए बलिदान की प्रथा थी और इसके लिए उन्होंने अपना बलिदान तक दे दिया, इसीलिए इस दिन को ऊधार का दिन यानि गुड फ्राइडे , हॉली डे, ब्लैक डे और ग्रेट फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है.

गुड फ्राइडे का महत्व
गुड फ्राइडे का महत्व ईसाई धर्म के अनुयायिओं के लिए बहुत ज्यादा है. ईसाई धर्म के अनुयायी इस दिन प्रभु ईसामसीह के बलिदान के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हैं. कुछ ईसाई धर्म के लोग प्रभु ईसामसीह के लिए व्रत रखकर प्रार्थना करते हैं तो कुछ सिर्फ प्रार्थना करते हैं. यह दिन प्रभु यीशु के उपदेशों, वचनों और शिक्षाओं को याद कर उन्हें अपने जीवन में अमल लाने के लिए प्रेरित होने का दिन माना जाता है.

प्रभु ईसामसीह नें क्रूस पर लटके हुए जो शब्द बोले थे उन्हें प्रभु यीशु की क्षमशक्ति की मिशाल माना जाता है. प्रभु ईसामसीह ने क्रूस पर लटके हुए जो शब्द कहे थे वो ये हैं – ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं’.

गुड फ्राइडे क्यों मनाते है
ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह (जीसस क्राइस्ट) का जन्म रोमन साम्राज्य के गैलिली प्रान्त के नजरथ में हुआ था. ईसामसीह युवावस्था में आने पर गांव गाँव शहर शहर घुमकर लोगों को शांति, मानवता, भाईचारा, धर्म, आस्था एवं एकता आदि का उपदेश देने लगे. वह बिमारों को चंगा करते , लंगडों , लुलों को ठीक करते अंधों को रोशनी देते , प्रभु ईसामसीह की लोकप्रियता धीरे धीरे बढ़ती गयी. वे खुद को परमपिता परमेश्वर का पुत्र बताते थे और धर्मस्थापना की बात करते थे. ईसामसीह अंधविश्वास फैलाने वाले धर्मगुरुओं को मनुष्य का शत्रु बताया.

सारे धर्मगुरु ईसामसीह के उपदेश से परेशान थे तो सभी ने मिलकर रोम के शासक पिलातुस को इसकी शिकायत की कि स्वयं को ईश्वर का पुत्र बताना पाप है. पिलातुस ने प्रभु ईसामसीह पर राज्य और धर्म की अवमानना का आरोप लगाते हुए क्रूस में लटकाकर मृत्यु दंड देने का आदेश कर दिया. जिस दिन ईसामसीह को क्रूस पर लटकाया गया था . जिस दिन प्रभु ईसामसीह को क्रूस में लटकाकर मृत्यु दंड दिया गया था उस दिन फ्राइडे (शुक्रवार) था इसीलिए हर वर्ष फ्राइडे के दिन ही इस पर्व को मनाया जाता है और इसीलिए इस पर्व का नाम “गुड फ्राइडे” है.

गुड फ्राइडे कैंसे मनाया जाता है?
कुछ लोग इस दिन व्रत रखते हैं तो कुछ लोग इस दिन से लेकर 40 दिन तक व्रत रखते हैं. इस दिन को और पूरे हफ्ते को शुभ माना जाता है लेकिन किसी प्रकार का सेलिब्रेशन नहीं किया जाता क्योंकि यह शौक का दिन माना जाता है. इस दिन लोग चर्च में इकट्ठे होकर प्रार्थना करते हैं.

कई देशों में इस दिन गर्म मीठी रोटी खाई जाती है जिसे प्रभु की रोटी माना जाता है. बरमूडा देश में हस्तनिर्मित पतंग उड़ाई जाती है और पतंग में लकड़ी से उस क्रूस का डिज़ाइन दिया जाता है जिसमें प्रभु ईसामसीह को लटकाकर मृत्यु दंड दिया गया था. पतंग का आसमान में उड़ना स्वर्ग के लिए उनके उदगम का प्रतीक माना जाता है.

 यीशु का अंतिम भोजन

ये माना जाता है की ईसा मसीह के यरुशलम में जब विजयी प्रवेश हुआ था, तब वो दिन रविवार था. वहीँ इस रविवार को खजूर रविवार के नाम से मनाया जाता है.

वहीँ खजूर रविवार के बाद आने वाला शुक्रवार ‘पवित्र शुक्रवार‘ या Good Friday कहलाता है . इस Good Friday के दिन प्रभु ईसा ने अंतिम भोजन के समय अपने शिष्यों को यह आज्ञा दी थी, ‘तुम एक-दूसरे को प्रेम करो, जैसे मैंने तुमसे प्रेम किया है.
यदि तुम आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे शिष्य हो.’ 

गुड फ्राइडे के दिन क्या किया जाता है?
गुड फ्राइडे के दिन ईसाई धर्म के अनुयायी चर्च जाकर प्रभु ईसामसीह को याद किया जाता है. सबसे पहले बाइबिल और धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है, इसके बाद क्रूस की पूजा की जाती है और अंत में प्रभु भोज किया जाता है. इस दिन बहुत से लोग व्रत रखकर प्रभु यीशु के बलिदान के प्रगति कृतज्ञता और शौक व्यक्त करते हैं.

गुड फ्राइडे संदेश
गुड फ्राइडे प्रेम व क्षमा का संदेश देता है. बाइबिल के अनुसार प्रभु यीशु के प्रेम व क्षमा की बराबरी कोई नहीं कर सकता है. प्रभु यीशु के साथ बहुत से अमानवीय कृत्य किये गए और बहुत सी शारीरिक यातनाएं दी गयी. प्रभु ईसामसीह को सिर पर कांटो का ताज पहना दिया गया था और हाँथ पैर में कीले ठोंक दी गयी थी. इतनी सब यातनाएं झेलने के बाद भी प्रभु यीशु ने उन सताने वालों और यातनाएं देने वालों के लिए परमेश्वर से क्षमा की प्रार्थना करते हुए कहा, "हे पिता इन्हें क्षमा कर क्यूँकि यह अज्ञानी हैं, यह नही जानते कि यह क्या कर रहे हैं "

गुड फ्राइडे शौक का पर्व है फिर भी इसमें ‘गुड’ शब्द का उपयोग इसीलिए किया गया है क्योंकि इस दिन प्रभु यीशु ने मनुष्य प्रजाति की रक्षा करते हुए अपना बलिदान दे दिया था. गुड फ्राइडे प्रेम, क्षमा, आदर, मानवता, प्रार्थना और बलिदान आदि का संदेश देता है.

गुड फ्राइडे के बाद ईस्टर

 माना जाता है कि गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद प्रभु ईसामसीह मृत्यु के तीसरे दिन यानी संडे (रविवार) को जीवित हो गए थे. तथा 40 दिन तक अपने चेलों सहित कई लोगों को दिखाई दिए तथा उसके बाद यह कहते हुए स्वर्ग पर उठा लिए गए कि जैसे मैं जा रहा हूँ फिर वापस आऊंगा और इस बार क्षमा नहीं न्याय करने आऊंगा , गुड फ्राइडे के तीसरे दिन  संडे (रविवार) को ही ईस्टर संडे कहा जाता है.

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