उत्तराखंड में आज और कल भारी बारिश की संभावना, रेड अलर्ट जारी, यात्रियों को वापस लौटने के निर्देश
देहरादून :उत्तराखंड में रविवार और सोमवार को कई जगह भारी बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग ने पश्चिमी विक्षोभ से होने वाली बारिश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है। पर्वतीय जिलों में कहीं-कहीं अत्यंत भारी बारिश हो सकती है। 3500 मीटर से ऊंचे इलाकों में हल्की बर्फबारी भी हो सकती है।
देहरादून मौसम केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार 17 अक्तूबर को पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश और 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज झक्कड़ चल सकता है। 18 को उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, चम्पावत, अल्मोड़ा, पौड़ी, टिहरी, नैनीताल, देहरादून के पर्वतीय हिस्सों में जमकर बारिश होगी। हरिद्वार, उधमसिंहनगर में भी भारी से भारी बारिश का रेड अलर्ट रखा गया है।
मौसम विभाग ने 18 को भारी बारिश के चलते भूस्खलन, नदियों के बहाव में वृद्धि की आशंका जताते हुए बारिश के समय यात्रा न करने की सलाह दी है। नदियों के जल स्तर में वृद्धि की आशंका के चलते नदी तटों के किनारे रहने वालों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं भी चल सकती हैं। 19 को पश्चिमी विक्षोभ का असर कुछ कम रहेगा। लेकिन पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश की संभावना है।
मौसम विभाग ने 18 को भारी बारिश के चलते भूस्खलन, नदियों के बहाव में वृद्धि की आशंका जताते हुए बारिश के समय यात्रा न करने की सलाह दी है। नदियों के जल स्तर में वृद्धि की आशंका के चलते नदी तटों के किनारे रहने वालों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं भी चल सकती हैं। 19 को पश्चिमी विक्षोभ का असर कुछ कम रहेगा। लेकिन पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश की संभावना है।
केदारनाथ धाम में रुके यात्रियों को लौटने को निर्देश
मौसम में आए अप्रत्याशित बदलाव के चलते सरकार ने चारधाम यात्रा को लेकर बड़ा कदम उठाया है। आपदा प्रबंधन मंत्री धन सिंह रावत ने यात्रा पर आए श्रद्धालुओं को अपने अपने स्थानों पर रुक जाने को कहा है। साथ ही केदानाथ धाम में रुके श्रद्धालुओं को अविलंब लौटने का अनुरोध किया है। मौसम विभाग के अलर्ट के अनुसार राज्य में दो से तीन दिन तक भारी बारिश हो सकती है। बारिश बढ़ने पर पर्वतीय क्षेत्रों में आपदा की संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
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