एम्स ऋषिकेश में Test Tube बेबी तकनीक शुरू, सुविधा देने वाला राज्य का पहला सरकारी अस्पताल
ऋषिकेश: एम्स ऋषिकेश में अब इन विट्रो फर्टिलाइजेशन सेंटर (आइवीएफ) सुविधा शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में एम्स में शुरू हुई इस सुविधा का लाभ सीधे तौर पर उन दंपतियों को मिलेगा, जिन दंपतियों के शारीरिक कमी की वजह से बच्चे नहीं हो पाते हैं। इस सुविधा को प्रदान करने वाला एम्स ऋषिकेश, उत्तराखंड का पहला सरकारी स्वास्थ्य संस्थान बन गया है।
एम्स ऋषिकेश के निदेशक और सीईओ प्रोफेसर अरविंद रघुवंशी ने सोमवार को संस्थान के गायनी विभाग में आईवीएफ सेंटर का विधिवत उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि देश में कई दंपति बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं। जो महिलाएं बांझपन की समस्या से ग्रसित हैं, उन्हें सामाजिक कलंक, वर्जना और मानसिक प्रभावों का भी सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश में आईवीएफ केंद्र खुलने से उत्तराखंड और आसपास के शहरों में रहने वाले ऐसे सभी लोगों को लाभ मिल सकेगा जो संतान सुख से वंचित हैं और इस सुविधा से माता-पिता का सुख प्राप्त करना चाहते हैं।
डीन एकेडेमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने कहा कि इस सुविधा को शुरू करने वाला एम्स अस्पताल स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्य का पहला सरकारी संस्थान है। अभी तक यह बेहद एक जटिल और महंगा इलाज हुआ करता था, इसलिए अब एम्स ऋषिकेश में शुरू की गई इस सुविधा से मध्यम वर्ग के दंपति भी अपना उपचार करा सकेंगे। मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. अश्वनी कुमार दलाल ने कहा कि आज के दौर में ऐसे शादीशुदा दंपति की संख्या ज्यादा बढ़ रही है, जिनकी अपनी कोई संतान नहीं है। इस सुविधा से पुरुष बांझपन और महिला बांझपन दोनों की समस्याओं का निदान संभव है।
प्रसूति और स्त्री रोग विभाग की प्रमुख तथा एम्स के आईवीएफ केंद्र की प्रभारी प्रो. जया चतुर्वेदी ने इस बाबत बताया कि गायनी विभाग पिछले चार वर्षों से बांझपन वाले जोड़ों का प्रबंधन कर रहा है। इसमें बांझ दंपति का काम, ओव्यूलेशन इंडक्शन, फालिक्युलर मानिटरिंग, बांझपन के लिए लेप्रोस्कोपिक और हिस्टेरोस्कोपिक सर्जरी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यह विभाग इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च की गाइडलाइन के अनुसार 45 वर्ष तक की महिलाओं और 50 वर्ष तक के पुरुषों के लिए यह सुविधा प्रदान करेगा।
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