पिछले 11 पेज के घोषणापत्र के कई वादे रह गये अधूरे, इस बार भाजपा का 54 पेज का लुभावना घोषणा पत्र..?
देहरादून : चुनावों सामने आते ही हर पार्टी जारी करती है लोक लुभावना वादों का मनमोहन पिटारा, यानि घोषणा पत्र, जिसे पढकर ऐसा लगता है जैसे सच में "अच्छे दिन आने वाले हैं " लगता है अब साल कोई गम प्रदेश में नहीं रहेगा जल्द अपना प्रदेश स्वर्ग बनने वाला है, लेकिन फिर जीत मिलती है और घोषणा पत्र सीधे कूड़ादान में, जैसे की कल मौजूदा सरकार ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है जो पांच साल पहले भी जारी हुआ था हर बार की तरह भाजपा प्रदेश सरकार भी अपने पिछले घोषणापत्र ‘दृष्टि पत्र’ के तमाम वादों को पूरा नहीं कर पाई। आपको बता दें कि भाजपा ने वर्ष 2017 में 11 पेज का दृष्टि पत्र जारी किया था, और कमाल की बात यह है कि पिछला 11 पेज का पिटारा अधूरा रह गया और इस बार पार्टी ने 54 पेज का दृष्टि पत्र तैयार किया है।
मौजूदा दृष्टि पत्र में एक बार फिर पार्टी ने हर वर्ग को लुभाने की कोशिश की है, लेकिन उसके पिछले दृष्टि पत्र पर नजर डाले तो ऐसे कई वादे हैं, जिन्हें सरकार पूरा नहीं कर पाई। इनमें से कई वादों को पार्टी ने इस दृष्टि पत्र में भी समेटा है। भाजपा ने 100 दिन के भीतर लोकायुक्त लाने का वादा किया था।
हालांकि सरकार ने इसका गठन करते हुए इस कानून को सदन में रखा था, लेकिन यह अभी तक विधानसभा में ही लटका पड़ा है। इसी तरह युवा नीति लाने का वादा फिर किया है। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत बार-बार अपने कार्यकाल में दोहराते हुए कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र के 85 फीसदी वादों को पूरा कर लिया।
इसके बाद तीरथ रावत और पुष्कर धामी सरकार भी वादों को पूरा करने का दम भरते, लेकिन हकीकत में कई वादों से सरकार ने आंखें फेर ली। भाजपा वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि कोराना महामारी के चलते शत-प्रतिशत वादे पूरा करने में अड़चने आई हैं।
ये वादे भाजपा सरकार नहीं कर पाई पूरे
-100 दिन भीतर लोकायुक्त बनाने का वादा पर अब तक नहीं बन पाया
-भ्रष्टाचार रोकने को एंटीकरप्शन सेल नहीं हो पाए गठित
-प्रत्येक जिले में छात्राओं के लिए आवासीय विद्यालय खोलने
-संस्कृत, वास्तु शास्त्र, ज्योतिष व कर्मकार कांड के अध्ययन व शोध को बढ़ावा
-पर्वतीय क्षेत्रों में दुर्घटनाओं के मद्देनजर गढ़वाल व कुमाऊं में ट्रामा सेंटर
-निर्धन वर्ग की गर्भवती महिलाओं को विशेष पोषाहार को आधी-अधूरी प्रोत्साहन राशि
-प्रदेश में एयर एंबुलेंस की भी आधी-अधूरी सुविधा
-मेडिकल टूरिज्म को विकसित करने के लिए हेल्थ रिजोटर्स और योग, आयुर्वेद आधारित केंद्रों की स्थापना
-पर्यटन गाइड के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना
-मध्य हिमालयी क्षेत्रों में चिन्हित स्थानों पर योग अभ्यास केंद्रों की स्थापना
-सभी लघु एवं सीमांत किसानों का फसली ऋण माफ
-गन्ना किसानों को फसल बेचने पर 15 दिन के भीतर भुगतान
-लघु जल विद्दुत परियोजनाओं को प्रोत्साहित करना
- सरकारी विभागों में रिक्त पदों को छह माह के भीतर नहीं भरा
-महिलाओं के विरुद्ध अपराधों पर रोकथाम के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना
-सरकारी सेवा में एससी, एसटी व ओबीसी के बैकलाग सभी पद नहीं भरे जा सके
-प्रदेश में व्यापारियों के हितों की रक्षा को व्यापार कल्याण बोर्ड का गठन
- असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों (ठेला गाड़ी चालक, दुकानों-होटलों में काम करने वाले, घरों में काम करने वाले महिला-पुरुषों, साइकिल रिक्शा चालकों, अखबार बांटने वालों) के लिए दीन दयाल सुरक्षा बीमा योजना के तहत दो लाख तक का सुरक्षा बीमा निशुल्क
-उत्तराखंड आंदोलनकारियों के योगदान को चिर -स्मरणीय बनाने को बृहद म्यूजियम का गठन
तो यह है पुराने वादों का लेखा जोखा.
वादा तेरा वादा... ?
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