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मौसम अपडेट : नौ जिलों में भारी वर्षा का अलर्ट, चारधाम यात्रा आज स्थगित; मार्गों पर फंसे छह हजार तीर्थयात्री

मौसम अपडेट : नौ जिलों में भारी वर्षा का अलर्ट, चारधाम यात्रा आज स्थगित; मार्गों पर फंसे छह हजार तीर्थयात्री
उत्तराखंड में अत्यंत भारी वर्षा के अलर्ट को देखते हुए रविवार को चारधाम यात्रा स्थगित कर दी गई है। तीर्थ यात्रियों से अपील की गई है कि जहां हैं, वहीं सुरक्षित स्थानों पर विश्राम करें और मौसम साफ होने तक प्रतीक्षा करें।

गढ़वाल मंडलायुक्त ने बताया कि रविवार शाम को बैठक में अगले दिन की यात्रा के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। सभी जिलाधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहने के लिए कहा गया है। साथ ही निर्देश दिया गया है कि ऋषिकेश और विकासनगर से तीर्थ यात्रियों को चारधाम यात्रा के लिए रवाना न किया जाए।
नौ जिलों में अत्यंत भारी वर्षा का रेड अलर्ट
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, आठ जुलाई तक वर्षा का दौर इसी प्रकार बना रह सकता है। शनिवार को चमोली, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चंपावत, नैनीताल और ऊधम सिंह नगर में कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी वर्षा का रेड अलर्ट जारी किया गया है। हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी में भी कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना है। इसे लेकर आरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
नदी-नालों ने रौद्र रूप धारण कर लिया
प्रदेश में लगातार हो रही वर्षा से दुश्वारियां बढ़ गई हैं। नदी-नालों ने रौद्र रूप धारण कर लिया है। पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन से सड़कें खतरनाक हो गई हैं। शनिवार को चमोली में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर चटवापानी के पास पहाड़ी से गिरे पत्थर की चपेट में आकर बाइक सवार दो तीर्थ यात्रियों की मृत्यु हो गई। हैदराबाद निवासी निर्मल शाही (36) और सत्यनारायण (50) बदरीनाथ धाम से दर्शन कर लौट रहे थे।
भूस्खलन से 200 से अधिक संपर्क मार्ग बाधित हैं और 300 से अधिक गांव अलग-थलग पड़े हैं। चारधाम यात्रा मार्ग अवरुद्ध होने से छह हजार तीर्थयात्री घंटों फंसे रहे। भारी वर्षा के अलर्ट को देखते हुए शनिवार को पर्यटकों को फूलों की घाटी नहीं भेजा गया। मौसम का असर हवाई सेवाओं पर भी पड़ा। दृश्यता कम होने के चलते देहरादून एयरपोर्ट से तीन उड़ान रद कर दी गई, जबकि एक को डायवर्ट किया गया।
भारी वर्षा से चारधाम यात्रा मागों पर भूस्खलन का सिलसिला तेज हो गया है। इस कारण गौरीकुंड (केदारनाथ) राजमार्ग रुद्रप्रयाग में डोलिया देवी के समीप 20 घंटे तक अवरुद्ध रहा। इस दौरान 3,000 से अधिक तीर्थयात्री फंसे रहे। बदरीनाथ राजमार्ग मलबा आने से सात स्थानों पर करीब नौ घंटे बंद रहा, जिससे बदरीनाथ और हेमकुंड की यात्रा पर आए 2,000 से अधिक श्रद्धालु जहां-तहां फंस
उत्तरकाशी में गंगोत्री राजमार्ग हेल्गूगाड़ के पास मलबा आने से करीब तीन घंटे और यमुनोत्री राजमार्ग डाबरकोट के पास चार घंटे अवरुद्ध रहा। इस दौरान एक हजार से अधिक तीर्थयात्री फंसे रहे।

पौड़ी जिले के कोटद्वार में मालन नदी पर बना तल्ला मौटाढाक हल्दूखाता वैकल्पिक मार्ग बह गया। नजीबाबाद-बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग कोटद्वार-दुगड्‌डा के मध्य मलबा आने से अवरुद्ध है। इस कारण 200 से अधिक वाहनों में सवार यात्री दुगड्डा व कोटद्वार में फंसे हैं।
काली, गौरी और सरयू नदी का जलस्तर बढ़ा
पिथौरागढ़ जिले में काली, गौरी और बागेश्वर में सरयू नदी का जलस्तर बढ़ गया है। चीन सीमा को जोड़ने वाली सड़क बंद है। रामनगर-रानीखेत मार्ग पर मौहान में पुल क्षतिग्रस्त होने से आवाजाही बाधित हो गई है। सैकड़ों यात्री मार्ग पर फंसे हैं। एक लाख से अधिक आबादी प्रभावित हुई है। चंपावत में पूर्णागिरि मुख्य मंदिर के पास चट्टान खिसकने से अवरुद्ध मार्ग दूसरे दिन भी नहीं खुल पाया। इस कारण 200 श्रद्धालुओं को लौटा दिया गया।
अलकनंदा और मंदाकिनी का जलस्तर चेतावनी रेखा के पार

रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का जलस्तर चेतावनी रेखा के ऊपर पहुंच गया है। नदी किनारे रह रहे आधा दर्जन परिवारों ने घर खाली कर दिए हैं। यमुना, टाँस और आसन नदी का जलस्तर बढ़ने से पांच पावर हाउस में विद्युत उत्पादन ठप हो गया है। भूस्खलन और नदी-नालों के उफान से 120 से अधिक गांवों में बिजली, जबकि 80 से अधिक गांवों में संचार सेवा ठप हो गई है। कई गांवों में पेयजल आपूर्ति भी प्रभावित है।
मसूरी की अपर मालरोड का पुस्ता ढहा
वर्षा से शुक्रवार देर रात अपर मालरोड के महाराजा अग्रसेन चौक और जैन धर्मशाला के मध्य सड़क के खाई की ओर का पुस्ता ढह गया। इससे सड़क के किनारे के हिस्से में बड़ा चौकोर छेद हो गया। इससे पूरी सड़क के ढहने का खतरा बढ़ गया है। इस घटना में किसी भी मानवीय नुकसान की खबर नहीं है।
हालांकि घटना के बाद मार्ग को वनवे कर दिया गया है। लेकिन, मामले में नगर पालिका का लापरवाही भरा रवैया सामने आ रहा है। जिस स्थान पर सड़क हवा में लटक रही है। इस सड़क के हिस्से में लोगों को जाने से रोकने के लिए केवल थर्माकोल के डिब्बे लगाए गए हैं। जोकि तेज हवा आदि से उड़ सकते हैं या वाहन आदि के गुजरने के बाद आसानी से हट सकते हैं। जबकि जरूरत संबंधित हिस्से को चारों तरफ से बैरिकेडिंग लगाकर बंद करने की थी।

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