नैनीताल: हाई कोर्ट ने उत्तरकाशी में मस्जिद की सुरक्षा तथा पहली दिसंबर को हिन्दू संगठनों की ओर से बुलाई गई महापंचायत पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते अंतरिम आदेश पारित कर डीजीपी को स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं।
साथ ही उत्तरकाशी के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को सभी धार्मिक स्थलों के आसपास सख्त कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में अल्पसंख्यक सेवा समिति के अध्यक्ष मुशर्रफ अली व इस्तियाक अहमद की याचिका पर सुनवाई की। जिसमें दावा किया गया कि जामा मस्जिद भटवाड़ी रोड, उत्तरकाशी का निर्माण वर्ष 1969 में एक निजी भूमि खरीदकर किया गया था।
1986 में सहायक वक्फ आयुक्त, उत्तर प्रदेश ने जांच की और पाया कि खसरा संख्या 2223 पर एक मस्जिद मौजूद थी, जिसका निर्माण मुस्लिम समुदाय के सदस्यों ने दान के पैसे से किया था। वक्फ आयुक्त ने एक रिपोर्ट बनाई, जिसमें यह प्रमाणित किया गया कि मस्जिद मौजूद है और सुन्नी समुदाय के सदस्यों की ओर से इसका उपयोग किया जा रहा है
1987 में जामा मस्जिद भटवाड़ी रोड, उत्तरकाशी को वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया गया। सितंबर 2024 से खुद को संयुक्त सनातन धर्म रक्षा संघ और विश्व हिंदू परिषद के सदस्य बता रहे हैं, मस्जिद को ध्वस्त करने की धमकी दे रहे हैं। मस्जिद की वैधता के संबंध में गलत जानकारी फैला रहे हैं।
मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध अभद्र भाषा बोल रहे हैं। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी कि निजी प्रतिवादी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर मुसलमानों और मस्जिद के विरुद्ध नफरत भरा भाषण दिया है, जो अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का उल्लंघन है।
सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश पारित किया है कि नफरत फैलाने वाले भाषण के किसी भी मामले में, भले ही कोई शिकायतकर्ता न हो, राज्य के अधिकारी नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के विरुद्ध स्वत: संज्ञान लेते हुए आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 295ए और 505 के तहत मामला दर्ज करेंगे।
खंडपीठ ने राज्य के डीजीपी से स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं । साथ ही जिलाधिकारी व एसपी उत्तरकाशी को याचिका में उल्लिखित धार्मिक स्थल के आसपास सख्त कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 27 नवंबर को होगी।
याचिका में बताया गया है यह विवाद आरटीआइ से उपजा है। जिसमें उत्तरकाशी जिलाधिकारी कार्यालय ने इस साल अगस्त में मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराते हुए कहा कि मस्जिद के नाम पर कोई फ्री होल्ड या लीज वाली संपत्ति नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि मस्जिद की भूमि और इमारत की वैधता और वैधानिकता के संबंध में सितंबर में उक्त जानकारी को सही किया गया था।
याचिकाकर्ताओं ने आगे दावा किया कि 1969 में, इस्तियाक के पिता यासिम बेग ने उक्त भूमि खरीदी थी जिसके बाद वहां एक मस्जिद का निर्माण किया गया था। उन्होंने आगे दावा किया कि 1987 के यूपी गजट अधिसूचना में इसे वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया गया है।
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